बेट्टा मछली- जीवनकाल, आकार, देखभाल और टैंक | Betta Fish Care Guide

बेट्टा मछली जिसे सीअमेज़ फाइटिंग फिश (Siamese Fighting Fish) भी बोलते हैं दक्षिण पूर्व एशियाइ देशों से निकली एक फ्रेशवाटर या सामान्य पानी में रहने वाली मछली है। इस मछली का आकार छोटा ही होता है और इसकी पूँछ इसके शरीर से बड़ा होता है। बेट्टा फिश की पूँछ इसकी आकर्षण का मुख्या कारण है। यह मछलियां रंग बिरंगी बेट्टा मछलियों में बेशुमार हैं। यानि की बेट्टा मछलियों की प्रजाति जैसे की Halfmoon, Fullmoon Betta Fish कई रंगों में आती हैं जैसे की black, purple, red, white, blue betta fish। आप इन्हे अपने घर में साधारण एवं साफ़ पानी के एक्वेरियम में रख सकते हैं। ये मछलियां आक्रामक स्वभाव की होती हैं इसलिए इन्हे दूसरी बेट्टा मछलियों के साथ न ही रखे तो अच्छा है। यह अपने आक्रामक स्वभाव के वजह से लड़ाकू मछलियां या फाइटिंग फिश के नाम से भी जानी जाती हैं। इस पोस्ट में हम बेट्टा मछली की सारी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे जैसे की बेट्टा मछलियों की देखभाल (Betta Fish Care), एक्वेरियम साइज (Betta Fish Tank Size), इनका आकार, एवं इनका जीवनकाल वगैरह.

betta fish
beautiful betta fish

बेट्टा मछली के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

वैज्ञानिक नामबेट्टा स्प्लेन्डेंस
कहाँ पायी जाती हैदक्षिणपूर्व देशों में
आकार3 इंच तक बढ़ सकती हैं
कुल सामान्य उम्र
Betta Fish Lifespan
2 से 5 साल
रंगकई रंगो में आती हैं
स्वभावआक्रामक
तापमान75 से 80 डिग्री फारेनहाइट
पी एच6.5 से 8
देखभाल का स्तरसामान्य
आहारशाकाहारी एवं मांसाहारी
बेट्टा मछली कितने की
Betta Fish Price
आमतौर पर भारत में एक बेट्टा मछली की कीमत
इनके रंग, आकार आकर्षण इत्यादि पैरामीटर के
हिसाब से रु 80/- से लेकर रु 450/- तक हो सकती है
उपलब्धता
Betta Fish Availability
बेट्टा मछली मछलियों के स्टोर पर आसानी से उपलब्ध
हो जातीं हैं। कुछ स्टोर्स इनकी ऑनलाइन डिलीवरी भी कर देते हैं।
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बेट्टा मछली मूल कहाँ से आयी है

बेट्टा मछलियों की उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशियाइ देशों जैसे की कम्बोडिआ, म्यांमार, लाओस, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड इत्यादि से हुआ है। लोगो का ऐसा मानना है की बेट्टा मछलियों को लगभग एक हज़ार साल पहले घरेलु स्तर पर थाईलैंड में पालना शुरू किया गया था। इस मछली को थाईलैंड की राष्ट्रीय जलीय जीव की उपाधि भी प्राप्त है। ये मछलियां आम तौर पर दलदल, जलोढ़ मैदानों और धान के खेतों सहित प्रचुर मात्रा में वनस्पति के साथ सतही जल के जलाशयों में पायी जाती हैं।

बेट्टा मछली का औसतन आकार और जीवनकाल

अधिकांश बेट्टा मछली मार्केट में 6 से 12 महीनों के बीच बेचे जाते हैं। इस समय तक, वे लगभग 2.25 सेंटीमीटर की होती हैं। कई बेट्टा मछलियों का यह पूर्ण विकसित आकार होता है। हालाँकि कुछ मछलियां तीन इंच तक भी बढ़ती हैं जैसे की halfmoon betta fish। इनका सबसे आकर्षित करने वाला भाग इनकी पूँछ और पंख का बड़ा बड़ा होना और इनके शरीर के चारो और से इन्ही से घिरे होना है। बेट्टा मछलियों के विकास को जो चीज़ प्रभावित कर सकते हैं उनमें भोजन का प्रकार, वह कौन जीन्स ले कर आयी हैं, पानी की स्थिति और सामान्य स्वास्थ्य शामिल हैं।

बेट्टा मछली दिखने में कैसी होती है

बेट्टा मछली के शरीर का प्रकार (beautiful betta fish) सुडौल होता है जिससे की इन्हे तैरने में सहूलियत होती है। इनके शरीर पर बने पंख सतह दर सतह बने होते हैं। इनके स्केल में पतली, पारदर्शी प्लेटें होती हैं जो इनके शरीर को चोट से बचाने में भी मदद करती हैं और कुशल ग्लाइडिंग के लिए सुव्यवस्थित करती हैं। मछली को अतिरिक्त चिकनाई प्रदान करने और हमलावर परजीवियों और संक्रमण से बचाने के लिए एक बलगम जैसी aपरत भी इनके स्केल को कवर करती है।

बेट्टा मछली कई रंगों में आती है। बेट्टा मछली में लाल, काले, हरे, पीले, purple betta fish, इंद्रधनुषी या नीले रंग (blue betta fish) का कोई भी संयोजन हो सकता है। ब्लूज़, फ़िरोज़ा और ग्रीन्स इंद्रधनुषी प्रकार के रंग हैं और प्रकाश परिवर्तन के रूप में रंग बदलने के लिए बेट्टा मछली में रंग के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

बेट्टा मछली का स्वभाव

बेट्टा की एक प्रसिद्ध स्वभाव की विशेषता है इनका लड़ाकू होना। नर बेट्टा मछली (male betta fish), आमतौर पर मादाओं (female betta fish) की तुलना में अधिक लड़ाकू होते हैं, अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए सहज रूप से एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। बेट्टा मछली आक्रामक और अपने क्षेत्र को लेकर अनुदार होती हैं, विशेष रूप से नर, जो अपने रंगीन और तेजतर्रार प्रदर्शनों से साथी को आकर्षित करने और अन्य नर पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं। वे पानी की सतह से सीधे हवा में सांस लेने की अपनी क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं। उनके अंग भूलभुलैया जैसे बने होते हैं जो उन्हें कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में भी जीवित रहने की क्षमता प्रदान करते हैं।

बेट्टा मछली की देखभाल

अक्सर ऐसा देखा गया है की बेट्टा मछली को छोटे बाउल या कटोरे जैसे बर्तन में रखा जाता है। ऐसा करने से बेट्टा मछली बीमार हो सकती है तथा उसका जीवन काल भी घट सकता है। कभी भी मछलियों को छोटे बाउल में नहीं रखना चाहिए। बेट्टा मछलियों को (betta fish tank) तकरीबन 15 लीटर या उससे अधिक क्षमता वाले टैंक में रखना चाहिए। ऐसा करने से मछलियों का स्वास्थ्य और जीवन में वृद्धि होती है। एक्वेरियम जितना बड़ा होता है उतना ही मछलियों को घूमने का और स्वछंद विकसित होने का मौका मिलता है।

बेट्टा मछली के पानी को साफ़ रखने के लिए आपको एक फिल्टर का उपयोग करना चाहिए। एक फिल्टर आपके टैंक (betta fish aquarium) को साफ रखने में मदद करेगा और हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा को कम करेगा। पानी में अधिक नाइट्रेट की मात्रा या बैक्टीरिया होए की वजह से मछलियों को बीमारी हो सकती है। पानी को उचित अंतराल पर बदलते रहना और फ़िल्टर का इस्तेमाल करना इस समस्या से निजात पाने में सहायक होता है।

ध्यान रहे की बेट्टा मछलियों के लिए ऐसे फ़िल्टर को लगाएं जो पानी में कम वेग पैदा करे। ऐसा इसलिए क्यूंकि बेट्टा मछलियों के फिन्स परतदार होते हैं और इसकी वजह से ज़्यादा वेग वाले पानी में इन्हे तैरने में कठिनाई होती है। अगर पानी में कम वेग पैदा करने वाले फ़िल्टर लगे होंगे तो आपकी बेट्टा मछली एक्वेरियम में अच्छे से तैर पायेगी।

बेट्टा मछलियां पानी के तापमान को लेकर भी संवेदनशील होती हैं। अतः अपने एक्वेरियम में सर्दी के मौसम में हीटर लगाना न भूलें। बेट्टा मछली के लिए एक्वेरियम के तापमान को 75-80 डिग्री फारेनहाइट या 24 से साढ़े 26 डिग्री सेल्सियस पर सेट करें। हीटर को पर्याप्त तापमान पर सेट कर दें जिससे की एक्वेरियम का सारा पानी एक सामान्य तापमान पर रहे। ऐसा नहीं करने से पानी के तापमान में हमेशा उतार चढ़ाव होने पर बेट्टा मछलियों को विभिन्न बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है और यहाँ तक की शौक लगने से इनकी मौत भी हो सकती है।

बेट्टा मछली को एक्वेरियम में ऊपर नीचे सभी स्तरों पर तैरना पसंद है, और आप अक्सर बेट्टा मछलियों को नीचे की ओर तेज़ी से आते हुए देखेंगे। बेट्टा मछलियों की इस हरकत की वजह से आपको अपने एक्वेरियम में कैसे ग्रेवल रखे इस पर ख़ासा ध्यान देना पड़ेगा। बहुत कठोर ग्रेवल बेट्टा मछलियों के लिए एक्वेरियम में न रखें। ऐसा करने से यह चोटिल हो सकती हैं। अपने एक्वेरियम में मुलायम ग्रेवल रखें या बिना किसी ग्रेवल और सब्सट्रेट के भी बेट्टा मछलियों का एक्वेरियम रखा जा सकता है।

हालाँकि ग्रेवल आपके टैंक के इकोसिस्टम तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे की इनकी सतह पर फायदेमंद बैक्टीरिया पनपते हैं जो की एक्वेरियम में बन रहे कचरे को तोड़ने में मदद करते हैं। बेट्टा मछलियों के लिए सही PH लेवल है 6.5 से 8. एक्वेरियम के एक चौथाई पानी को सप्ताह में कम से कम एक बार बदल लेना चाहिए जिससे की एक्वेरियम में पानी साफ़ रहे और मछलियां स्वस्थ रहें।

बेट्टा मछली का आहार एवं भोजन | Betta Fish Food

जब आप एक अच्छे बेट्टा मछली के भोजन की तलाश कर रहे हैं तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये मछलियां स्वाभाविक रूप से मांसाहारी होती हैं और इन्हें अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इनका उल्टा मुंह वास्तव में यह बताता है कि वे अपने स्वाभाविक वातावरण में बेट्टा फिश कीड़े और कीट लार्वा जो पानी में गिर जाते हैं या जो सतह पर तैर रहे होते हैं ज्यादा खाना पसंद करते हैं।

जैसा की कुछ लोग कहते हैं की बेट्टा मछली पौधे-आधारित खाद्य पदार्थ खाती हैं पर यह सही नहीं है। बेट्टा मछली पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों पर जीवित नहीं रह सकती है। इन्हे आप बेट्टा फ्लेक्स या छर्रे, जो की क्रूड प्रोटीन में उच्च होते हैं, इसका सेवन भी करा सकते हैं। बेट्टा मछलियां फलैक्स और पेलेट्स भी चाव से खाती हैं।

बेट्टा मछली किन मछलियों के साथ टैंक में रह सकती हैं

बेट्टा मछली को भयंकर लड़ाकों के रूप में जाना जाता है, खासकर वह अपनी प्रजाति के प्रति कुछ ज़्यादा ही लड़ाकू होती हैं। लेकिन आप उनके एक्वेरियम में अन्य मछलियों को डाल सकते हैं। आपके अपने बेट्टा मछली के व्यक्तित्व के आधार पर, इनके टैंक में अन्य मछलियों को डाल सकते हैं। हालाँकि, ऐसा करने से पहले ये सुनिश्चित करें कि उनका एक्वेरियम बड़ा हो और उसमे काफी सारे कवर और पौधे हों (प्राकृतिक या कृत्रिम)।

बेट्टा मछलियां जिन मछलियों के साथ रह सकती हैं उनकी सूची नीचे दी गयीं हैं:

  • एम्बर टेट्रा
  • कूले लोच
  • ट्रम्पेट स्नेल
  • हरलेकिन रसबोरस
  • कोरी कैटफ़िश
  • मिस्ट्री स्नेल
  • घोस्ट श्रिम्प
  • फीडर गप्पी
  • अफ्रीकी ड्वार्फ फ्रॉग
  • नीयन टेट्रा
  • क्लाउन प्लेको

बेट्टा मछलियों को होने वाली बीमारियां और समाधान

बेट्टा मछलियों को अगर अच्छे से रखा जाये तो उन्हें कम से कम बिमारियों का सामना करना पड़ेगा। हालाँकि कई बार सबकुछ सही रहने के बावजूद बेट्टा मछलियां कुछ बिमारियों का शिकार हो जाती हैं। बेट्टा मछलियों को होने वाली कुछ बीमारियां और उनके समाधान इस प्रकार हैं:

  • फिन रॉट या फिन्स का सड़ने लगना: फिन रोट फिन्स या बेट्टा मछलियों के पंखों पर होने वाला एक जीवाणु संक्रमण है जो इसके पंखो को धीरे धीरे नष्ट करता जाता है। उपचार के रूप में इसमें पूरा एक्वेरियम के पानी को बदलें और मछली को टेट्रासाइक्लिन के साथ औषधि दें।
  • कॉन्स्टिपेशन: यह बीमारी आपके बेट्टा को अधिक खिलाने का परिणाम है। कॉन्स्टिपेशन के लक्षणों में भूख न लगना, पेट में सूजन वगैरह शामिल हैं। इसका उपचार है की बेट्टा मछली का उपवास एक या दो दिन के लिए करवा देना।
  • इच: इच एक बेट्टा मछली पर परजीवी का संक्रमण है। इच संकेत है एक बेट्टा के पंखों या शरीर पर कुछ सफेद धब्बों का होना जो छोटे कपास के गोले की तरह दिखते हैं। इस बीमारी की वजह से मछली को शरीर पर खुजली होती है।
  • वेलवेट: वेलवेट भी एक परजीवी संक्रमण है। वेलवेट से ग्रसित एक बेट्टा फिश के शरीर पर भूरे से सुनहरे रंग की परत जैसी आ जाती है। वेलवेट का उपचार और इच का उपचार एक तरीके से ही करना होता है।
  • फंगल इन्फेक्शन: फंगल इन्फेक्शन किसी भी समय बेट्टा के स्लाइम कोट को नुकसान होने पर पकड़ सकते हैं। उपचार में एक्वेरियम में कवकनाशी का उपयोग साहिल है। आप मछली को मेथिलीन ब्लू या जेंटियन वायलेट से भी ट्रीट कर सकते हैं।
  • स्विम ब्लैडर डिजीज: स्विम ब्लैडर रोग बेट्टा मछलियों की सामान्य रूप से तैरने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसमें आप देखेंगे की मछली टेढ़ा मेढ़ा तैर रहीं हैं और उसको तैरने में खासी परेशानी हो रही है। इसका उपचार है एक एंटीबायोटिक के साथ पानी का उपचार करना और मछली के ठीक होने तक एक चौथाई पानी को दो दिन के अंतराल पर बदलते रहना।

अगर ऊपर दिए गए किसी भी बीमारी से बेट्टा मछली ग्रसित हो गई है तो उसे एक क्वारंटाइन टैंक में पहले अलग कर के रख लें। ऐसा करने से बाकी मछलियों तक यह बीमारी नहीं फैलेगी। ऊपर दिए गए उपचार से आपकी मछली भरसक स्वस्थ हो जाएगी। लेकिन, अगर इस उपचार से मछली स्वस्थ नहीं होती है तो उसको एक वेटनरी डॉक्टर से अवश्य दिखाएं।

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